कठा सूं आवै है सबद

भूगर्भ सूं

समंदर सूं

परबत-शिखरां सूं

या फेर

मिनख री नाभि सूं?

कठा सूं आवै है सबद

पांखियां रै कलरव सूं

नदी रै कलरव सूं

नदी रै प्रवाह सूं

किणी डाकतै झरणै सूं

या फेर

मिनख रै सुपनां सूं?

कठा सूं आवै है सबद

खेत में खड़ी फसलां सूं

फळां सूं लद्या बगीचा सूं

रेत रै अणकूंत

पसराव सूं

या फेर

मिनख रै मन सूं?

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : भगवती लाल व्यास ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी साहित्य संस्कृति पीठ (राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति)
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