आजकल वै

चैरो नीं बदळै,

रंग बदळै,

सुणणै में

भी आयो है के वै

रंग नीं

चैरो बदळै

अबार

इत्तो जरूर

पुख्ता तौर सूं कैयो जा सकै

के वै

कीं कीं बदळै जरूर है

वे

लाल, पीला,

लीला, हर्या, गुलाबी,

बैंगणी, व्हैता व्हिया

काळा भी

कई बार व्हिया है...

पण

धोळा व्हैण सूं पैली ही

रंग बदळणो छोड़’र

चैरो बदळ लेवै

सुण म्हारा भाया

कांई कम बात

के वै

दोनूं साथै नीं बदळै!

स्रोत
  • सिरजक : कृष्ण कल्पित ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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