अेक अदीठ प्रीत रै बेबलां लारै

लुक्योड़ौ इज रह्यौ हरमेस म्हैं।

अरे, बावळी दीठ वाळां!

यूं घड़ी-घड़ी कांई निरखौ म्हनैं

म्हैं कोई कविता थोड़ी हूं

कै अरथ काढ लेवैला।

थे जागौ कोनीं

थांरै अरथावण री बगत

म्हैं लय में छूट जावूंला

बिरथा कळाप छोड़ौ

म्हैं थांरै हाथ नीं आवूंला।

स्रोत
  • पोथी : बिणजारो पत्रिका ,
  • सिरजक : चन्द्र प्रकाश देवल ,
  • संपादक : नागराज शर्मा
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