कविता लिखणो

किणी मिंदर मांय

पूजा करण सूं कमती नीं है

अर ना ईज किणी रो

भोग टाळण सूं कमती है।

भाई सिरजणहार !

भळै जोवां बै सबद

जिण मांय कथीज्यो

दुनिया रो पैलो सांच

जिणा बोया मानखै मांय

बदळाव रा बीज

अर बै सबद

जिका कस्यो सागो सांच रो

लाधैला बै सबद

जिण सूं रचीज सकै कोई मंतर

कै जागो...

अर जाग जावै मानखो

कै चेतो...

अर चेत जावै मानखो।

स्रोत
  • पोथी : पाछो कुण आसी ,
  • सिरजक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : सर्जना प्रकाशन, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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