फेसबुक्क अर वाट्सअेप रा फंडा अजब निराळा है

'वाह' 'चाह' आं दो मिणियां री, वैजन्ती माळा है

इण माळा रो इक इक मिणियो, अणबींध्यो सो मोती है

हर मोती री दिप-दिप करती, अंक जगामग ज्योती है

ज्योती जगमगती जग में, अंधारै सूं आज अड़ी

इणसूं अड़तां अंधारै री, जड़ ऊंडोड़ी उखड़ पड़ी

पुलिस करै परवाह अबै तो न्यायालय भी पहचाणै

अपराध खोजणी साखा इणरा जतन फायदा घण जाणै

अेक मित्र से कैणो है, 'गोशिप' रा अड्डा है

ओक ओक सूं बत्ता आं में, लखणां वाळा लड्डा है

दळ में देवै दाद उणीं नैं, मंजूषा में मसळै है

कीकर कहद्यां चोखा आंनैं, भांत भांत सूं भिसळै है

उणसूं पण म्हारो कैणो, जे थूं आँख उठावैला

चुगली चाळा करबा वाळा, हर घर में मिलज्यावैला

कम सूं कम इण माथै कोइयक, बात काळजै लागैली

उण दिन नींद भरम री आखी भव सूं अळगी भागैली

कुछ लोगां रो कैणो है कै, बिगड़ण रा गेला है

आंसूं जुड़ण - जुड़ावण वाळा, छैला है का गैला है

वां सूं है अरदास अक आ, हर सिक्कै रा पासा दोय

चित-पुट दोनूं है चिरजीवी, समझ आवै सो लेवो सोय

बणण और बिगड़ण रै बिच में झीणो अंतर है जाणो

सद अर बद रो भेद जगत में ऊंडी आंख्यां पहचाणो

चोखै अर भूंडै रो चाळो, परापरी सूं चालै है

हित अर चित रैं हेत मानखो, जग में जुरड़ा घालै है

फेसबुक्क अर वाट्सअप पर ,सुधरण रा सरजाम घणा

जे बगड़ण री मन में आवै, तो वै भी इंतजाम घणा

खुद रै हाथां खुद री नैया, बण खेवैया खेयां जा

सत री बाट मती कर संको, बैवै ज्यू बैयां जा

स्रोत
  • सिरजक : गजादान चारण 'शक्तिसुत' ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी