अबै दड़ूकै बळद-सां बण

बाड़ सींगां सूं झुरड़ रैया

जद सोटां री पड़ै भौभरै

पूंछ ऊंची कर नाट रैया...॥

ठौड़ ठाण नीं हुवै गोधां रा

खुला डांचळी मार रैया

ठाण-धणी जद आवै घेरण

दै सींग भैटी गुड़काय रैया...॥

हुय-हुय भैळा बळद-गोधा

आपस में सींगड़ अड़ाय रैया

मूत-छेरा करै ढींकै-दड़ूकै

खुरां सूं रेत उड़ाय रैया...॥

बांध’र छोड़ा जकै खूंटै

बोई खूंटो उपाड़ लैजाय रैया

बाड़ हुवै चावै खिड़क लोह री

ऊभा डांचळी मार रैया...॥

आपरै टोळै बळद-गोधा

ऊंठा नै अबै रळाय रैया

पड़्या अटाळै गाडा-हळिया

पेटी-पिलाण सै टूट रैया...॥

अबै दड़ूकै...

...नाठ-रैया॥

स्रोत
  • पोथी : नँईं साँच नैं आँच ,
  • सिरजक : रामजीवण सारस्वत ‘जीवण’ ,
  • प्रकाशक : शिवंकर प्रकाशन
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