काची,आली

अर

सूखी घास रा फूसकां’ळी

सैंकड़ू थैपड़्यां नै

रळा’र

बणाईज्यो

अेक पींरावण्डो (पींरावडो)

जिण माथै

रोपेड़ी बुहारी बूर रा तिणकला

ओपै सोभै

सुरंगे बादस्याही ताज री जिग्यां।

बो पींरावंडो

आजकाल इण अबकाळै जमाने में

कोनी रैयो सबळ मजबूत

अर

अेक’र सिझ्यां री सी’क टेम

खिंडग्यो टूटग्यो

मूसळधार बिरखा सूं थोथो हुयग्यो

आतंकवाद री जींवती

अदेवळ सूं...

थैपड़यां खिण्डगी

जातिबाद रा घमींड़ा सूं

अर

पड़ग्या बै

बूर रा तिणकला

हैठे जमीं माथै।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली मार्च-जून 199 ,
  • सिरजक : कमलकिशोर पिंपलवा ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राष्ट्र भाषा हिन्दी प्रचार समिति, श्रीडूंगरगढ़ (राजस्थान)
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