आपरै आपै माथै

मिनख नै

जद व्है जावै पतियारौ

आपरी हूंस रै जाग्यां—

जागै अर

उणरै आपरै सुपनां रै

आपो आप

लाग जावै पांख!

अणंत आभै

मन उडाण भरण री करै

अर वौ उडै है

पण ओछौ पड़ जावै

आभौ।

स्रोत
  • पोथी : मुगती ,
  • सिरजक : मीठेस निरमोही ,
  • प्रकाशक : मरुवाणी प्रकाशन,जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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