खुश हुवणौ

परवाणां नै बळता देख

खेल समझ दीया जलाणां

ठीक नीं

जिकी बची है पंखुड़ियां

खिर जावैला

सूखा फूलां नै हाथ लगाणौ

ठीक नीं

निजर मिला’र

निजर चुराणौ ठीक नीं

किणीं रै दिल नै चोट पुगाणीं

ठीक नीं

जिको मोबत करै

बो दरद समझै

दिल रो राज हरेक नै बातणों

ठीक नीं

सगळां रै आगै आंसू

बैवाणां ठीक नीं

सब नै दिल रो दरद बताणों

ठीक नीं।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत फरवरी-मार्च ,
  • सिरजक : ज़ेबा रशीद ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर
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