रूजडो, दारुडियो धणी,
दारु में अतडातु, लबडातु
मरदपणु
मुओ,
लाते मारी ने चूसी रयो है।
मजुरी ना दाम
दारु वारा ने सूकी रयो है।
ने घर सोरं थकी
भरी रयो है।
उजड़ा नी या रांड आंतडिये मरोड़ै।
मजूरी उपर जांवु पडै परूडै
मुटियार तो सहर मएं
होटल ना ठामड़ा माजै
सिनेमा जाए
गीत गाए
नासै
जागो
मोटीयार
स्कूल माँ भणवा जाओ
आपणी संस्कृति ना गीतो गाओ।
तमारा खेतरँ गिरवे
बाप ने दारू सइये
हे अन्न दाता
घोर-घोर अन्न पोसाओ।
दारु ना दरियां माँ वानि लगाडो
आ नेता तो आदि संसकृति ने नाम उपर
राज ना मेहमान
संसद ने सेडे
नसावता ज़ रईगां
झूठा नु रोकडू झट ने हुकाऐ।
हासी वाते अमर थई उपर जाऐ
कागला नी मनमानी वेटो नकी
चोंच ने बोटी कर दो।
भसवा वारा ने भसवा दो
राम नु नाम लई जागो मोटीयार
खेतरं नी धरती जोतो
हरियाली नो गलीसो वसावो
भणाई नी हेती ताकत
नवा वैवार में लगावो
परूडो वेरासती थाहै
हूरज बाबा ने निकरतेज
अंदारु जाहे।