अेक आगोतर
अेक आज
अेक बीत्यौ काल
कीं भी तो नीं है इण रे परबार
अर जांण नीं सक्या इणी नैं
कदै बीत्यौड़े रा भुगता
अर
कदै-कदै इत्ता उखड़ जावां
क
लागै आगोतर भी नीं सुधार पावां
जाणां नीं क है जको साच
वो है आज रो आज
हमेस
जद निकळ जावै आज
चावां फेर मिळ जावै अेक
काल जिस्यौ आज