बखत-बखत री बात है

कठैई झूंपड़ी अर

कठैई छात है

पण किण-किणनै

परखोगा थे

दुनिया तौ

बिना बींद री बरात है।

स्रोत
  • पोथी : अपरंच ,
  • सिरजक : मातुसिंह राठौड़ ,
  • संपादक : गौतम अरोड़ा
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