बाईसा रो रूप निरखतां
लाजी पूणम चांदणी।
बाबल जी रो घर छोड़तां
कंकू माण्ड्यो आंगणी।
घूंघट में मुखड़ो यूं चमक्यो,
ज्यूं पूरब में भोरड़ी।
आंख्या यू आंसूड़ो ढलक्यो,
ज्यूं रेंटा री गेरड़ी।
ऊं...ऊं...करती चली गोरड़ी
सासरिया री गैल,
पामणा लेवण आयाजी।
रखड़ी पीली, कंठी पीली
पीली पोत दुसाला जी।
बींठी पीली, चुंदड़ी पीली
पीला लाल दुलारा जी।
सात सहेल्यां लारे चाली
चाली धीमी गोरड़ी।
ठमक ठुमक पग धरती चाली
यूं चाली ज्यूं मोरड़ी।
ऊं—करती चाली गोरड़ी
सासरिया री गेल,
पामणा लेवण आया जी।
मायड़ काकी भाभी आई,
आई बेनड़ भुआजी।
पास पड़ोसण सबही आई,
आई मामी मौसीजी।
बाबल काको बीं रो मलग्यो,
नुवी ओड़ाई ओरणी।
गले मिलतां हियो भरग्यो,
घूघट भीज्यो गोरड़ी।
ऊं...ऊं...करती चाली गोरड़ी,
सासरिया री गेल,
पामणा लेवण आया जी।