घरां आयौ मिनख देख'र

नेम हो स्सै सूं पैली

पाणी रो लोटो झलावण रो

इण वास्तै घर रो मिनख जांवतो

भाज'र पळींडै

अब पळींडै रो सुभाव व्है,

बठै जा'र झुकणो पड़ै मिनख नै

भरण नै लोटो

जीं स्यूं झुकै जिकै मिनख रो

निसर ज्यै अेंकार

सुतंतर व्है ज्यै

अंतस रा तार

अर फेर ज्यूं ही झलावै

आयोड़ै मिनख नै लोटो

बूक दे'र पीण रै भानै

झुक ज्यांवतो बो

झुकण रो बैलेंस व्है ज्यांवतो

दोनूवां रो बराबर

पसर ज्यांवती कमरै मांय

निरमल-सीतळ पून

पछै मुळक रै साथै

सरु व्हैंती बोळ-बंतळ

काढ़ न्हाखता केड़ कड़ूंबै री सेंध

मांड ज्यांवता हेत रा संबंध

नाता-रिस्ता

निभता जिका

कोसां-कोस रा

पीढयां-पीढयां।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : देवीलाल महिया ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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