म्हांरा उणां नै पगैलागणां

जिका म्हारै सीने मांय छेकलां घाल्यां,

मन्‍नै चौसठ घड़ी आठौं पौर,

दिरकायौ,

हरजतन सूं म्हारै खूंजां रै तीणां काढ्यां।

उणा नै भी

जिका म्हारै पचियां माथै लूण छिड़क्यौ,

बिखै में पसरी हथेळी ऊपर

पईसो नीं, खंखार थूक दियौ।

म्हैं उणां नै करूं पगैलागणां

जिका म्हारै सांच नै किचोय'र

सुगळो कर दियौ।

म्हैं उणां नै भी करूं पगैलागणां,

जिका चांद नै चुराणै

अर सूरज नैं बुझाणै री बणावै तिकड़मों,

जिका मारणौ चावै,

फूलां माथै मंडरावती

सोवणी-मोवणी तितल्यां नै।

पिंजरां में फसाणौ चावै

बापड़ा कबूतरां नै।

मैं उणां नै भी करूं पगैलागणां

जिका मन्‍नै रूंख जाण’र बाढै,

फल जाण'र गटकै,

इमरत रै नांव पेटे बिस बांटै।

म्हैं उणां नै भी करूं पगैलागणां

जिका भगवा पैर'र

रैयत नै अंधविसास रा पेड़ा बांटै,

जिका मिसरी सा मीठा बोलै,

अर मांयनै सूं खाराजैर हुवै।

म्हैं उणां नै भी करूं पगैलागणां

जिका म्हारै सबदां री चोरी करनै

आपरी जस-पोथ्यां लिखावै

अर भोम री छाती नै फाड़'र

काल-पात्र रै रूप में बुरावै।

हाँ,

अै म्हांरा पगैलागणां

पैलड़ा है या छेकड़ला

म्हैं नीं जाणूं

पण अै पगैलागणां म्हारा,

लाय है, अगन है, जूझार है पकायत।

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