होवै मिनख रै

माथै रो ताज

उण की लाज

मिनख राखै उण नैं

आपरै जीव सूं नेड़ो

घणां जतनां सू

एक पिछाण है

रोब-रूतबो है

आण-कांण है

धरम रा पग है पाग

लोगड़ा पण सकै कद

अेक दूजै री उछाळता

अनमोल-अणबोल पाग।

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक 7 ,
  • सिरजक : अशोक परिहार 'उदय' ,
  • संपादक : ओम पुरोहित ‘कागद’ ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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