कठै धरां

पग

दूखै

मुरधर री

रग-रग।

सुपना

सुकाळ रा

देवै दुख

भूख देवै

दकाळाँ।

नीं मिटै

दुख रा

जंजाळा।

दुख

काळ रो

दकाळरो।

स्रोत
  • पोथी : भोत अंधारो है ,
  • सिरजक : ओम पुरोहित ‘कागद’ ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम