मंडता जावै धरती माथै, पग मंडणां इतियास रा

सूरज उगतौ करै सिलांमी, तारा हंस अकास रा!

अै हिम्मत रा हाथ जकां में इंकलाब री अद्भुत सगती

बंटनै रहसी गिण्या दिन में, हमैं मुलक री धन नै धरती

भूख बेकारी मिटनै रहसी, अै पग है विसवास रा

मंडता जावै धरती माथै, पग मंडणां इतियास रा

सूरज उगतौ करै सिलांमी, तारा हंसै आकास रा!

देख मिनख री करड़ी मैणत, सैचन्नण संचारै है

मोत्यां जैड़ी निपजै खेती, माटी रूप संवारै है

बीत चुकी अंधियारी रातां, आया दिन उजियास रा

मंडता जावै धरती माथै, पग मंडणां इतिहास रा!

बांध बणै नैरां खुद जावै नवौ धांन मुळकावैला

नवै देस रौ नवौ मांनखो नवा गीतड़ा गावैला

चारूं कांनी नवी चेतना, नवा कदम है आस रा

मंडता जावं धरती माथै, पग मंडणां इतियास रा!

सूरज उगतौ करै सिलांमी, तारा हंसै अकास रा!

स्रोत
  • पोथी : हेमाणी पत्रिका परम्परा ,
  • सिरजक : रेवंतदान चारण ,
  • संपादक : तेजसिंघ जोधा
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