1
पड़दै लारै सूं
किणी अणजाण
म्हारा हाथ काट न्हांख्या
अेक रोटी रौ टुकड़ो फेंक'र
          
2
आपां सगळा पाडौसी हां 
अेक दूजै रा दोसी हां 
जिंदगाणी रौ अरथ आपां कांई जाणा
नख लागतां ई
अेक दूजै री घांटी मोसी हां। 

3
नीवां में गड जावौ 
अेक मजबूत हवेली बणावौ 
करण दो तारीफ सगळा जग नै 
छाजै री। 

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : आत्माराम ,
  • संपादक : तेज सिंघ जोधा
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