कदै आंख्यां सूं उफण’र

काळजियौ ठारै

कदै चेतौ बिसरायां

कारज वगाड़ै

ठालौ-भूलौ

मनड़ौ नीं लागै

जद परणीया

परदेसी बण’र

सतावण लागै

सावण-भादौ

घूमर घालै

मन पपीहौ

पीव-पीव बोलै

तवौ-केलड़ी

हंसण लागै

हिचकी रै

हबोळां

जद थूं जागै

मेड़ी चढ़’र

काग उडाऊं

मन मोरियौ

छतर तांणै

ढेलङियां रै बानै

घालूं घूमर

मन मोरियौ साध

पूरावै

रातां सपनां

नींद उडावै

आळ-जंजाळां

जद थूं आवै

पीव पधारै !

पीव पधारै !

स्रोत
  • पोथी : बिणजारो 2017 ,
  • सिरजक : पवन राजपुरोहित ,
  • संपादक : नागराज शर्मा ,
  • प्रकाशक : बिणजारो प्रकाशन पिलानी ,
  • संस्करण : अङतीसवां