टापरी थकी अंगास

अंगास थकी टापरी

देखाती न्हें है।

छापरा ऊपर खजूर ना खोड़ा

खोड़ं मांय फाकं

फाकं मांय पडतं थकं टपकं

टपकं मांय टपकती टापरी

देखाती न्हें है।

अंगास अड़ी रातर नी टाड़

भैनी गोदड़ी मांय लाल

गोडे साती दाबते

पेट नी लाय

काळजा नी हाय

देखाती न्हें है।

हन्तोक ने नाथू नी वाते

आवी केटली विती गई राते

आमली इग्यारस ने

फागणिया नं गीतं

थोडा मंय घणी मोज

देखाती न्हे है।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत (मई 2023) ,
  • सिरजक : प्रदीप सिंह चौहान ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर
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