ओळू आपरी आवैला,

जद नैणां नीर बहावैला।

देख घटा सावण री मनड़ौ,

उडियौ उडियौ जावैलां।

सुवटियै संग देख कोयळड़ी,

गीत प्रीत रा गावैला।

डिचकारी में सानी देती,

जद थानै भात जिमावैला।

थां बिन सूनी सैजां में,

जद गजबण बांटा जोवैला।

लजवंती गजबण कुरजड़,

जद झाला दैर बुलावैला।

हियै सुळगती हौळी नै,

जद बालम आय बुझावैला।

स्रोत
  • पोथी : इन्दर नै ओळभौ ,
  • सिरजक : अमर सिंह राजपुरोहित ,
  • प्रकाशक : रुचिर प्रकाशन
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