जांटी तो अणगिणत होवै

अगन पीयोड़ी

पण पूजीजै कोई-कोई

बियां

कोई-कोई लुगाई री,

जूण नैं मिलै है-

ओळखाण।

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : रचना शेखावत ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण