म्हैं भी

लिखणो चावूं

थांनै अेक ओळियौ

प्रेम रो

जिकै रै सैंग आखरां सूं

गुलाब री महक आवै।

पण

मां री दवाई

बैन रै दायजै रो समान

छोटियै भाई री

स्हैर सूं लावण वाळी किताबां

अर

साहूकार रै ब्याज रो हिसाब

लिखतां-लिखतां

जिनगी रो पानो ओछो पड़ज्यै।

अब स्यात

कीं और लिखण सारू

जग्यां नीं बची।

स्रोत
  • पोथी : अैनांण ,
  • सिरजक : आशीष पुरोहित ,
  • संपादक : 2021 ,
  • प्रकाशक : गायत्री प्रकाशन
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