थारै सागै निरख्या जिका दरसाव
कांई वै दरसाव बरियां-बरियां
निरखीज सकै?
नीं, दरसाव रौ
हुवै आपरौ चांकीजेड़ौ बगत
बगत रै परबारै
कदै नीं थमै दरसावI
थारी दोस्ती मानां अमरबेल!
पण दोस्ती रै वीं छिणां
जिण छिणां नीं ही
आपणै माथै उलाळ दुनिया री समझ...
वां छिणां आपां दोनूं
निरख्या जिका दरसाव
वै कांई भूलीज सकै?
कांई ओजूं निरखीज सकै?
म्हारा बेली!
थारौ वौ पळगोड सुभाव
कूद-कूदनै जीमणौ
भर-भर परात,
जांणै जीमतौ हुवै
काळ अघायेड़ौ डांगर...
म्हारा बेली!
थारौ वौ कूद-कूद नै पढणौ
जियां पढतौ हुवै
बिनां चढावौ सूंपेड़ौ पंडत
गरुड़ पुरांण!
म्हारा बेली!
थारौ कूद-कूद नै नाचणौ
जियां नाचतौ हुवै
रामलीला में सतबेजरड़ौ
जोकर, नकलीड़ौ!
म्हारा बेली!
थारौ कूद-कूद नै न्हावणौ
जियां हुवै नागा-साधुवां रौ
तीरथ-स्नांन!
म्हारा बेली!
थारी प्रीत,
कूद-कूदनै करीजेड़ी प्रीत
भींतां कूद, बाड़ां कूद, कूद स्कूल री डांडी
कांई भूलीज सकै?
थूं बताय..!
बताय थूं आ ई
कै वै दरसाव कांई ओजूं निरखीज सकै?
जिका निरख्या हा
आपां दोनूं अेकण सागै!