(अेक)

बिरानी खेत रै
हर्‌यै चिणै पर
लाल फूल।
बायरै सूं नाचती
चिणै री घेघरी
देख 'र
गोपी री
निजरां मांय
कंवळायी।
बीजी ठौड़
गोपी री मैनत रा
लाल फूल देख'र
चौधरी री
निजरां मांय
गरमायी।

(दो)

किसन री निजर
चम्पा पर
पण
हियो ऊजळ अर पाक
चम्पा रै हियै
मांय
नेह रो धागो
पिरोय'र
परेम री घुळगांठ
लगा दीन्ही।
बीजी ठौड़
राकेस री निजर
गणपत री
जोड़ायत पर
पण
वासना सूं
उफणती ।

(तीन)

ऊजळ टीबै पर
बैठ्यै साधु रीI
निजरां बंद।
हियै में अरदास
मन में
ईस रो बास
काया-मन
पवितर हू ज्यावै
पण
मिंदर रै पुजारी री
निजर
चढावै अर प्रसाद पर
सांझ नैं झोळो
भर'र घरै ले ज्यावै।

 (च्यार)

दादै री निजर
मांय जाळा
सूझै नीं
हियै आंख्यां सूं।
सैंग नैं
जाणै
पोतै री निजर
डेडर दांयी
पण
दादै नैं ही कोनी पिछाणै।

स्रोत
  • पोथी : बिणजारो 2016 ,
  • सिरजक : जगदीशनाथ भादू 'प्रेम' ,
  • संपादक : नागराज शर्मा ,
  • प्रकाशक : बिणजारो प्रकाशन पिलानी
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