अेक


सिंदूर
बिंदी
चूड़्यां
मंगळसूत्र
चुटक्यां
पाजेब
अर
बिंधायोड़ा नाक-कान

कित्ता परोटै
बेटी
बहू रै रूप रै मांय

पण
बेटै रै ब्याह पछै
अेक ई निसानी नीं

स्यात
नेम-काइदा
माणसां रा बणायोड़ा है
बहुआं सारू।

दो


मा घणकरी सी बार
तंदरुस्त नीं रैवै तद भी
निभावै नेम-काइदा
न्हा’र ढाळै गडियौ
सूरज जी नै
अर पाणी सींचै
तुळछी में
पछै बड़ै रसोई में
अर
गा-कुत्तै सारू
बणावै अेक-अेक रोटी

मिंदर में
ठाकुर जी
अर पीतर जी रै भी
अेक-अेक रोटी साथै
घी-खांड रौ
लगावै भोग
मा बतावै
कै भौत जरूरी है
अै नेम-काइदा
घर में बरकत सारू।

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक 5 ,
  • सिरजक : ऋतुप्रिया ,
  • संपादक : ओम पुरोहित ‘कागद’ ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
जुड़्योड़ा विसै