कदै बरसैगो
घणी चालसी
ऊंडी धार
रीता हिवड़ा में
भिदियोड़ा हियै सूं
चाल-चाल धार
भरसी आत्म रो मैराण
निपजसी जिणसूं उमाव
विगससी अंतस रा कंवल
मिटसी मानव रो ओळमो
होसी जग उलझाड़ बित्योड़ा
रीतो होसी भेद
तबै बणसी जीवण मोवणो
रोम-रोम में भरसी
मोह मतवाल
निरत होस्यां, सजसी साज
आंख्यां वारणां
यो संभव होसी काज
जदै घणो सारो
पड़सी अणमाप
नेह रो मेह।