लैरां लेता समदरिया री

याद दिवावे टीब्बा

बगत रा फैर लारै

मानखो अर परकरति ही नीं

पलट जावै

चिड़ी-चूकला रा भाग भी।

जदी तो केवै

बडेरा

नीं करणो मान

काचा कांच-सो

बिखर जावै

झूठो संसार।

लारै

रै जावै

ऊँसासा अर

टूक-टूक हुई

पपड़ेली भौम जिस्यो

खिंडेड़ो काळजो।

स्रोत
  • सिरजक : अंजु कल्याणवत ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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