नारी मरदाणी! तूं आबरू की अम्मर सैनाणी!
नारी मरदाणी।
खाली होगो टापरो सो देख ले अे, मरदाणी!
आंख्यां खोल'र, आंख्यां खोल'र झांक, तू ईंकै कानी झांक,
अब तो घर कै कानीं झांक, नारी मरदाणी॥
आज बीत्यो पीसणों जद पीसै कांई मरदाणी!
घर में कोनै, घर में कोनै नाज, जद भी लैणा की छै दाब,
जद भी बोरां की छै दाब, नारी मरदाणी॥
छोरा—छोरी बावड़—बावड़ रोटी मांगै, मरदाणी!
भूखा रोवै, मरता रोवै नार थारा काळजा का टूक,
थारा हिवड़ा का ये टूक, नारी मरदाणी॥
दा'वै में ये थर—थर धूजै, थारा टाबर, मरदाणी!
सी सरदी तू, सी सरदी तू रोक, यांका तन पर लत्तो नाख!
अब तो यांका तन नै ढांक, नारी मरदाणी॥
लीरम लीर घाघरियो तू पैर्यां डोलै, मरदाणी!
लाजां मरगी, लाजां मरगी लाज, थारा नागा तन नै देख,
थारो डील उघाड़ो देख, नारी मरदाणी॥
मूंछ्याळां को काळजो तो भार्यो धड़कै, मरदाणी!
घर कै भीतर, घर कै भीतर नार, यो तो बण जावै छै नार,
यो तो घर कै बारै गार, नारी मरदाणी॥
ढोलाजी तो हातां चुड़लो पैर लीनो मरदाणी!
थारा घर की, थारा घर की लाज, तू तो हिम्मत करकै राख,
अब तो मरदी करकै राख, नारी मरदाणी॥