इमरती

बिदामी

मिसरी

संतरा

पतासी

नांव लेवो तो जी हरखै!

नांवां री चल ही,

जद चीणी कम ही...

अब चीणी है

पण नांवां में मिठास नीं है

है फगत फीकापणो।

स्रोत
  • पोथी : अंतस दीठ ,
  • सिरजक : रचना शेखावत ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन,जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम