एक दाड़ौ

अंसासुक

एक नै,

नाना नाना केटलाक

हुरज

अंगास मे उगी आव्या

तो ऐम लाग्यु के

अन्दारु भी भाटा माते

मातु पटकी पटकी नै रौवै है

राक्सस लुला थ्या थका

आपड़ा

हाथ नै

घड़ी-घड़ी

जोवै

है।

स्रोत
  • पोथी : वागड़ अंचल री ,
  • सिरजक : मणि बावरा ,
  • संपादक : ज्योतिपुंज ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham
जुड़्योड़ा विसै