सात सूं सीधौ
सित्ताणूं माथै पूगतौ
निनाणूं रै चक्कर में
डस जावतौ नाग
पूंछ रै फटकारै पाछौ
आठ पर अटकावतौ।
बाळपणै में
मन-बिलमावण रै मिस
रमता हा नाग-निसरणी
पण—
पचास पार करियां पछै ई
नीं मिली कठैई-कोई
नूंवी-जूनी निसरणी
ना ई समझ सक्यौ
पूरी नागलीला!
जाण्यौ फगत इतरौ कै
कोनी खाली टाबरां रौ खेल
जीवण रौ जथारथ है—
नाग-निसरणी।
दोनूं बिचाळै
भुगतै-रमै भाग
मारग रै हर मौड़ माथै
कुंडाळौ मार’र बैठा है नाग,
पावण नै पार
सीख रैयो हूं अेक नूंवी रम्मत
जिणमें नीं चाईजै
भरोसौ अर भाग
म्हनै चाईजै
फगत काळा-धोळा अर
किरड़-काबरा नाग!