नदी वई रई है
धीमे-धीमे
नदी नेकरी है
वांटवा
आपड़ा मअें थकी
हैत्तं सारू
कयं नै कयं
पाणी
रेत
रूड़ा-रूपारा लोड़वायेला पाणा
नै बीजू भी
घणू आखू
घर बणावो
के
मंदर थापण करो
संकर-भैरव नै
पूरवजं नी
के लैर करे
लीलावाड़ी
मानवी नी भी, पण
नदी साथै
नाना-मौटा थाते
नेकरी है
आखी उमर आपड़ी
फैर भी
बांधी मेल्यू है
हईयू काठूबट्ट
अवे
समंदर
थई ग्यू है
केटलू वैगरू
थई ग्यू है
आपड़ा सारू।