म्हैं से 'र देखण गयो

अेक जूनी तोप देखी

बींरी नाळ

म्हारो से सूं जादा ध्यान खींच्यो।

ठाह कोनी क्यूं म्हने

बीं बगत तोप मांय

म्हारो से सुं जादा ध्यान खींच्यो।

ना कोई म्हारी बहादुरी दीखी

ना दुसमणां री लास

म्हने फगत मिनख मत्योड़ा दीस्या

अर जै-घोसमाधै

भारी पड़तो किरळाटो।

अचाणचक

बीं नाळ रे मांय दिखी

म्हारै खेत रे 'ट्यूबवैल ' री नाळ

पाणी री भरेड़ी नाळ रै साम्हीं

लै लांवता खेत

अन्न रा भरेड़ा भंडार

कमाल होयग्यो

म्हनै दुनिया रो

कोई मिनख

भूखो अर तिस्यो कोनी दीखयो

नाळ रै साम्हीं।

स्रोत
  • सिरजक : विनोद स्वामी ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी