वतन वास्ते जीणो-मरणो मोट्यारां
जनमभौम को लेलो शरणो मोट्यारां॥
आपणे खातर तो सब जीवे जगती में-
सेवक बण भवसागर तरणो मोट्यारां॥
करो काम अस्या कै लागे जैकारा-
पाप-पुन्न को करलो नरणो मोट्यारां॥
मेणत सूं मझलां चाल न हामी आवे-
नीतर पड़ै जगत मं फरणो मोट्यारां॥
टोळी मूं हरण्यो जद बिछडै भाईला सूं-
पड़ै एकली चारो चरणो मोट्यारां॥
बना लड्यां ई रण मं हार मती मानो-
जगां-जगा पे यूं कांई डरणो मोट्यारां॥
भूखा-तिरस्या,अबाणा, भटको हो कांटा-भाटां मं-
बस थोड़ो आगे बेहतो झरणो मोट्यारां॥
बण्यो-बणायो सीरो मलसी मत होचो-
ज्यो करणो सो थाने ई करणो मोट्यारां॥
नरसी ज्यूं विसवास, भरोसो भारी है-
नानी बाई चितोडगढ़ मायरो भरणो मोट्यारां॥