कोलेज री काळकी कुत्ती ब्यावणी

झाड़ झंखाड़ में शौध ठांणौ

भाकर रा ढाळ में

धूड़ में

खोद घुरकाळी

बणाई ठावी ठौड़

भरियै भादरवै

खळकते खाळां में

ऐकांयत में

मेह अंधारी रात में

नारी जात

सा'व ऐकली

बिना दाई

बिना नरस

बिना सफाखाने

डाक्टर बिना

राजी खुशी

आ'बा री छतरी री छिंयां में

बणी पांच कुकरियां री मां

जच्चा-बच्चा

ताजा निरोगा

कोई सीरौ लावै

कोई बिस्कूट लावै

कोई दूध पावै

कोई रोटी खवावै

कुत्ती रौ जापौ सुधरावै

सब करै सब करावै

करण री सोय बंधावै

बाबौ समरथ छै।

स्रोत
  • सिरजक : राजेन्द्र बारहठ ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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