मोर मुगट माथै धरयो,

प्रीत में राधे थारै नाथ

मोर पांख सूं तन ढांप लियो,

सोवै तकियो बणा हाथ।

बिछा दिया पांखड़ा जाणूं,

मोर सगळी धरा पर आज

पुराणी प्रीत में झूम रही,

जाणूं लाडली राज।

रूप थारो घणौ मोवणो,

लागै राधे सरकार

करूं निछरावळ इण पर,

म्हैं सगळो संसार।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : सीमा राठौड़ ‘शैलजा’ ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : मरूभूमि शोध संस्थान राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति
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