चांद गिगनार

घरां भरतार,

टीवी करतार

पड़गी लागै पार,

वा रै लंबरदार!!

देखी थारी धार!

पंखेरू बारै

माणस चारै,

मांणस घरां

दुख उचारै,

वा रे सरदार!

देखी थारी मार!!

उणियारा काळा

बाळ धोळा,

टाबर सांम्ही छाती

करै कुबद किलोळा,

वा रै मरदाचार

देख्यौ थारौ सिस्टाचार!

चकलो गोळ

रोटी गोळ,

गोळ धरती

डांवाडोळ,

वा रै भरतार

देखी थारी मनवार!!

नेह री पाळ

अब तौ संभाळ,

कर जाबतौ

तोड़ आखा जाळ,

वा रै असरदार

देख्यौ थारौ सत्कार!!

स्रोत
  • सिरजक : दुलाराम सहारण ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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