म्हारू मन

दुख नो दरियो थईग्यू

कऊवाळा थकी भराई ग्यू

उदासी थकी अंटवाय

काळजा मअें कंटाळौ

ऊबाई ने अथड़ाय है।

हंणकै फूटै हैं

मन घोटाय

गंडवा वजू थाय

अेक आफत धकैलूं

बीजी छाती माथै चढ़े है

स्नैह थातू नथी

बौलवा करूं तौ

फाटा बाहड़ा वजू

गोगरू खूखराय

काम मों लागै न्हें मन

हुं करवू औसन चूकी जऊं

मन मअें लागतौ दौव

औलब्बा सारू

बीजा कनै जाईनै

दुख नी वात केई दऊं तौ

मन फौरू थई जाय

पण

बीजा ने दुख नी लाय तौ

म्हारा करते वधारै

अैनी औजाळ थकी

म्हूं दगवाई जऊं हूं

जैटलू हिंजरू अैटलौ हंताप

जेंम सबुरी राखू

अेम अकळमण थाय

घणा-घणी ना गोठिया कनै ग्यौ

पैला'ज अैणै हईया नं आंहुवं

पलकं थकी टपकावी दीघं

न्हैट-न्हैट उठीनै

घेरै पाछौ आव्यौ

मन ने धरोस आली

जग मअें कुंणै सुखी न्हें है

अैण नूं दुखडू रौवै

तईवरै

कलम माथै निगै पडी

मन नौ भार फौरौ करवा

आसा नी कण्णी जौई

कागद माथै दुख उकेळवा लागौ

मौरे लखतौ

वाहैं आंहुवं थकी

हईया नी वात भुवाई जाती

तौय मन नौ ऊकळतौ दौव

कम न्हें थावा लागौ।

स्रोत
  • सिरजक : भोगलाल पाटीदार ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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