अबै सूरज री उगाळी मांय बा बात कोनी
मुरगां रे कण्ठा मांय आवाज कोनी
सगळी ख़बरियां सगळा नै ठा है
पण किरै भी हाथां मायं अखबार कोनी
डाकियौ तो आवै आज भी गळी में
पण डाकिये रै हाथ मायं अबै डाक कोनी
लोग मिले आज भी एक दूसरे सूं
पण मनां मायं अबै बै भाव कोनी
अबै सूरज री उगाळी मांय बा बात कोनी
आख्यां तो रोवै आज भी
पण अबै मुंडे माथै बा मुळक कोनी
रात भी लोगां वास्तर रात कोनी
दिन में पैला वाळौ उजास कोनी
चांद तो चमकै घणौ पण
आज तारा बीरै साथ कोनी
अबै सूरज री उगाळी में बा बात कोनी...