छातीकूटा

छातीकूटा रोज घणां नै, छाती घणी कुटावै।
कदी न बाज्यै सीलो बायरो, कुकरतब कर जावै।
कुकरतब कर जावै, सबनै दुक्ख घणो पुगावै।
कांई अरथ का कोनी होवै, कारज कर ना पावे।
कह 'मंडेला' झूठी क साची, जनम लार करम रा फूटा।
छाती कदै सिलावै कोनी, ऐ तो पूरा छाती कूटा।

टाट्या

टाट्या तो बस टाटला, टाट नांक कर गाजै।
लाख लगाओ कड़कोल्या तो, ऐक देवो दो बाजै।
ऐक देवो दो बाजै, जद ऐ माथो नीचो करलै।
हद हुवै टाट्या री इज्जत, मूंच्छयां नीची करदै।
कह मंडेला झूठी 'क सांची, यो माल घणां का चाट्या।
मेल तापड़िया माथा ऊपर, ये बाजै छै टाट्या।

नसरड़ा:

नसरड़ा सुण लै सदा, कदै न्ह छौड़ै टेक।
मन रो राजा ऐक सो, खुद री राखै रेख।
खुद री राखै रेख, सदा ही मन को मन अड़ जावै।
महादेव री पींडी सो यो, निरजीवो बण आवै।
कह 'मंडेला' झूठी 'क सांची, धन धन वाह रे मरदड़ा।
भोडल का भाटा ज्यूं चमकै, लागै एक न्ह नसरड़ा॥
स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : मोहन मण्डेला ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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