तू जी भलाई अेक दिन

पण मिनख बण नै जी

डबडबा जाव, हुवै गळ-गळ हियै री पीड सूं

चौसरा चालै, चुव टपटप दुखा री भीड सूं

बण नै इसडो, काळजो

किरसाण रो बण जी

जद सुणावै घूधरा घम-घम सुखा री रात में

गीत गावै रोवणा चातक खड्या बरसात में

बण काळी बादळी

घरडाट बण नै जी

जळजळो जे ल्या सकै बण च्यानणो दिन रो

ऊभ विरहण ज्यू गिणै क्यू आवणो पिव रो

बण भोळो बावळा

भगवान बण जी

तू जी भलाई अेक दिन पण मिनख बण नै जी

स्रोत
  • पोथी : राजस्थान के कवि ,
  • सिरजक : श्रीमंतकुमार व्यास ,
  • संपादक : रावत सारस्वत ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य संगम (अकादमी) बीकानेर ,
  • संस्करण : दूसरा संस्करण
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