मूंडै में दांत कोनी

बोखी है वा

तो

चाबणा चावै चिणा।

कम सुणीजै

फेरूं

कान लगा'र

सुणण री हर।

सोझी कम है,

पूरौ निजर नीं आवै

फेरूं देखणौ चावै

मारग बैवता बटाऊ नै।

काची उमर में

जूण सूं धाप्योड़ा में

जीवण री हूंस जगावै

म्हारी धा।

स्रोत
  • पोथी : मायड़ ,
  • सिरजक : शंकरसिंह राजपुरोहित ,
  • संपादक : मीनाक्षी बोराणा