म्हारै गाम रो
मोटोड़ो धोरो
रेत रो भाखर
कोरो-कोरो।
उन्हाळै
संवारै-संवारै
अर सियाळै
आथणपौर
पूगै टाबर
उणरी सिखर-टोली
बैठा-बैठा तिसळै
मारै किलकार्यां
मन में उठै
आणंद री लैरां
खिलै चै'रा
लांबी ढाळ में
ढळता जावै टाबर
तिसळै तो तिसळता ई जावै
मौज रो समदर है
ओ धोरो म्हारो
पाणी भरै
इणरै आगै
स्हैर रै पार्क में लाग्योड़ी
मूंघी-मूंघी
फिसलन पट्यां!