म्हारै गाम रो

मोटोड़ो धोरो

रेत रो भाखर

कोरो-कोरो।

उन्हाळै

संवारै-संवारै

अर सियाळै

आथणपौर

पूगै टाबर

उणरी सिखर-टोली

बैठा-बैठा तिसळै

मारै किलकार्‌यां

मन में उठै

आणंद री लैरां

खिलै चै'रा

लांबी ढाळ में

ढळता जावै टाबर

तिसळै तो तिसळता जावै

मौज रो समदर है

धोरो म्हारो

पाणी भरै

इणरै आगै

स्हैर रै पार्क में लाग्योड़ी

मूंघी-मूंघी

फिसलन पट्यां!

स्रोत
  • सिरजक : सत्यनारायण सोनी ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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