अेक इमरत कळस
संजोय राख्यो हो
मन रै चंदन बाग में
फुँफकार रैया है चौफेर
बासग नाग
घुळतो जावै विस
इमरत मांय होळै-होळै
म्हैं ई बणती जाय रैई हूं
स्यात,अेक विसकन्या।