म्हैं बांवळी

सनैव नै जोवती रेई......

आपणां-परायां

सगळां कनै सूं माग्यौ ई......

पईसां री कमी नीं ही

दुकानां......माल......

अठै तांई के बिदेसां सूं

मोलावण खातर

घणी खेंचल करी.....

बीज माग्या

सोच्यौ-उगाय लैसूं

पण नीं मिल्या......

जीव में आयौ-

घणौ नीं तो चिन्योसौ

मिल जावतौ तो.......

कांई भगवान थारै घरां

सनैव रौ टोटौ पड़ जावतौ?

भगवान बोल्या-

बाया- प्रेम नीं बाड़ी नीपजै

हेत नीं हाट बिकाय...

स्रोत
  • सिरजक : बसन्ती पंवार ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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