म्हैं कांई अर थै कांई,

फखत बादळी,

जिको बदळ जावैली

पलक झबूक्यां।

म्हैं कई अर थै कांई,

फखत धोरां री धूड़ रौ

अणचायौ बणाव,

जिकौ मिट जावैला

आंधी री दपट सागै।

म्हैं कांई अर थै कांई,

फखत कुरजलां री पांत,

जिकौ अदीठ हुय जावेली

इण आगली घड़ी।

म्हैं हां फखत फाट्योड़ी

जीसा री गंजी,

जिकौ काम आवैला किणी गूदड़ी मांय।

स्रोत
  • पोथी : डांडी रौ उथळाव ,
  • सिरजक : तेजस मुंगेरिया ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
जुड़्योड़ा विसै