म्हारो हुवणौ

थारै सूं है।

थारो हुवणौ

म्हारै सूं!

फेर

थारी-म्हारी

कांई बात री?

स्रोत
  • सिरजक : रामकुमार भाम्भू ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
जुड़्योड़ा विसै