गावो, गावो रे गुणगान मेवाड़ी धरती रो

गावो, गावो रे, हा रे गावो रे-3

इण धरती पर एकलिंड्ग री

धजा उड़े गिगनारा!

पग-पग चलता मिले अठै छै

मिठी सी मनवारा!!

त्याग तपस्या स्वाभिमान का,

भरया अठै भंडार!

गावो, गावो रे, गावो, गावो रे-3!!

हल्दीघाटी, रक्ततलाई जठै

मच्यो घमसान!

गोगुन्दा अर कुम्भलगढ़ म्हं

बोत बण्या श्मसान!!

चुहल-चंगुल चीर नार सी,

कीदी सदा दकाल!

गावो, गावो रे, गावो, गावो रे-3!!

भामा, तारा, झाला, बीदा,

रामदास ओर शंकरदास!

पूंजा, गोपीनाथ सरीखा

हा राणा रा खास!!

हाकिम खां सो सूर जिणा ने

छोड़ी ना तलवार!

गावो, गावो रे, गावो, गावो रे-3!!

अकबर सूतो औझको छो

जाण सिराणे सांप!

पल-पल करतो कदै

झुकेगो कदमा में प्रताप!!

टॉडरमल ओर मानसिंह जी

बैठ गिया सुस्ता'र!

गावो, गावो रे, गावो, गावो रे-3!…

स्रोत
  • सिरजक : ओमप्रकाश सरगरा 'अंकुर' ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी